
डिवीजन बेंच के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल ने शासन से अपने पूर्व निर्णयों के पालन की जानकारी मांगी। मामले में शासन के अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि एसओपी ड्रॉफ्ट अभी पूरा नहीं हुआ है। इसे पूरा करने में पंद्रह दिन का समय लगेगा।
- हाई कोर्ट ने एसओपी ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने को कहा।
- 15 दिन में सरकार को समाधान प्रस्ताव देना होगा।
- 10 फरवरी को मामले की अगली सुनवाई होगी।
बिलासपुर, नई दुनिया प्रतिनिधि :- सोमवार को हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका पर सुनवाई हुई, जो छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों को आवारा मवेशियों से मुक्त करने की मांग करती है। डिवीजन बेंच के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल ने शासन से अपने पूर्व निर्णयों के पालन की जानकारी मांगी।
कोर्ट में शासन के अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर उपस्थित हुए। उन्हें बताया गया कि मवेशियों की समस्या से निपटने के लिए विकसित SOP का ड्रॉफ्ट अभी अंतिम रूप में नहीं बनाया गया है। इसे पूरा करने में पंद्रह दिन का समय लगेगा।
शासन की मांग को हाई कोर्ट ने स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई 10 फरवरी को तय की है। 23 अक्टूबर 2024 को न्यायालय ने राजमार्गों और सड़कों पर मवेशियों की समस्या को दूर करने के लिए मुख्य सचिव को एक नवीनतम हलफनामा प्रस्तुत करने का आदेश दिया था।
- इसमें रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, बस्तर और सरगुजा के संभागीय आयुक्तों की रिपोर्ट भी पेश की गई थी।

गठित समिति की रिपोर्ट नहीं दी गई: हाई कोर्ट ने कहा कि अन्य राज्यों द्वारा अपनाए गए तंत्रों की प्रभावशीलता की जांच करने के लिए गठित समिति की रिपोर्ट अभी तक नहीं दी गई है। कोर्ट ने इस पर भी प्रतिक्रिया देने का आदेश दिया।
कोर्ट ने आवारा मवेशियों की समस्या को रोकने और प्रभावी कार्ययोजना बनाने के लिए शासन और अन्य विभागों को निर्देशित किया है।